रूप उसका एक ,नाम बस अनेक कभी ऐश्वर्या , कभी धान्यलक्ष्मी! रूप उसका एक ,नाम बस अनेक कभी ऐश्वर्या , कभी धान्यलक्ष्मी!
एक कला जो आज भी लोगों से अनजान हैं। यह खेल ही नहीं प्राचीन भारत की शान है। एक कला जो आज भी लोगों से अनजान हैं। यह खेल ही नहीं प्राचीन भारत की शान है।
ये लचक, ये महक और मेरी ये खुमारी। मैं किसी दिन ज़रूर काम में लूंगी। ये लचक, ये महक और मेरी ये खुमारी। मैं किसी दिन ज़रूर काम में लूंगी।
वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है ! वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है !
प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैया मुझे पसंद न प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैय...